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क्या सच में शिव पुराण में गौ बलि, कुकुर
बलि और काक बलि लिखी है? यानी गाय, कुत्ते
और कौवे की बलि देनी होती
है। शिव जी तो नंदी से कितना प्यार करते
हैं। फिर भी गौ
बलि पशुपतिनाथ शिव के ही पुराण में ऐसा
क्यों लिखा है?
वैसे सच कहूं तो मुझे बहुत खुशी है कि शिव
पुराण में बलि का वर्णन है। अक्सर सच वो
नहीं होता जो हमें बताया जाता
है। हर हर महादेव। मैं हूं निखार जनेजा और
मुझे जीवों से बहुत प्रेम है। फिर भी
मैंने ऐसा क्यों कहा कि गौ बलि, कुकुर बलि
और काक बलि के शिव पुराण में लिखे होने से
मुझे बहुत खुशी है। वीडियो के अंत तक बने
रहिए। आप लोगों को जरूर समझ में आ जाएगा।
जीव प्रेमी भक्तों को बलि देने की बात
हमेशा से बहुत परेशान करती है। आप सभी को
मैं इस सच्चाई से अवगत करा दूं कि आप सब
भी बलि देते हो। चौकिए मत मैं आपको सब
बताता हूं। बचपन में मैंने यह सीखा कि घर
में जो पहली रोटी बनती है वह गाय के लिए
होती है और आखिरी रोटी कुत्ते के लिए होती
है। आपने भी यह जरूर सुना होगा और आपके
यहां पर भी यह होता ही होगा। हमारी हिंदू
जीवन शैली में सभी जीव-जंतुओं के लिए
व्यवस्था की गई है जिससे कोई भी भूखा ना
रहे। अब आखिर अपने भोजन में से थोड़ा सा
हिस्सा किसी के लिए रख दिया जाए तो सभी का
उद्धार हो जाएगा ना। तो अगर हमारे धर्म
में सभी जीवों की सेवा करने के बारे में
सिखाया गया है तो फिर बलि के बारे में
क्यों लिखा है? पहले समझते हैं कि बलि का
असली अर्थ क्या होता है? हिंदू धर्म में
बलि का अर्थ है हिस्सा देना या भाग देना।
यह बलिदान अहिंसक भागीदारी का प्रतीक है
ना कि किसी को मार देने का। यदि शिव पुराण
की उमा संहिता के अध्याय 9, 10 में हम
पढ़ेंगे तो यहां लिखा है कि जो कुत्तों और
गौओं को उनका भाग अर्थात बलि देकर स्वयं
भोजन कर लेते हैं। उनके खुले मुंह में दो
कील दी जाती है। यानी कि अपने भोजन में से
कुत्ते और गाय को यदि बलि नहीं दी, बलिदान
नहीं दिया, उसका हिस्सा नहीं दिया तो नरक
में यातना दी जाएगी। जैसे कि खुले मुंह
में दो कील देना। सोचकर ही बहुत डर लगता
है। आगे पढ़ेंगे तो लिखा है कि यमराज के
मार्ग में अनुसरण करने वाले जो श्याम और
शबल दो कुत्ते हैं, मैं उनके लिए यह अन्य
भाग देता हूं। वे इसी बलि को ग्रहण करें।
पश्चिम व्यायव्य, दक्षिण और नैरत्य दिशा
में रहने वाले जो पुण्य कर्म कौवे हैं, वह
मेरी इस दी हुई बलि को ग्रहण करें। इस
अभिप्रथा के दो मंत्रों से क्रमशः कुत्ते
और कौवे को बलि देना चाहिए। यानी कि यह
लिखा हुआ वाक्य कहकर आप यमराज के दो
कुत्ते श्याम और शबल के लिए भोजन का
हिस्सा रखिए और सभी दिशाओं में रहने वाले
कौवों के लिए भी भाग रखिए। बलि का यहां
अर्थ है कि गाय, कुत्ते और कौवे के लिए
अपने भोजन में से हिस्सा निर्धारित करना
है। इन जीवों को बलिदान देना है। इन जीवों
का ही बलिदान नहीं देना है। इसीलिए मुझे
खुशी है कि हमारे शास्त्र हमें जीवों की
सेवा करना सिखाते हैं ना कि उनके प्रति
हिंसा करना। लेकिन अगर हम शिव पुराण
पढ़ेंगे ही नहीं तो हमें कैसे समझ आएगा कि
हमारा धर्म हमें हिंसा नहीं सिखाता है।
कितने अफसोस की बात है कि इस पवित्र अर्थ
को हमें गलत तरीके से बताया गया। जहां बलि
का अर्थ है प्रेम और समर्पण वहीं इंसान ने
उसे बना दिया जीव हत्या का एक विकल्प।
सोचिए इंसान इतना स्वार्थी हो गया कि अपने
स्वाद के लिए उसने धर्म में लिखी हुई
चीजों को ही बदल डाला। या फिर किसी धर्म
विरोधी ने इस गलत अर्थ को प्रचलित किया
हमारे धर्म को नुकसान पहुंचाने के लिए। और
आज देखिए यह पाखंड इतना फैल चुका है कि
हमारे भगवान के नाम पर ही इस प्रथा को चला
दिया और जीवों को मार दिया जाता है। यह
किसी भगवान को प्रसन्न करने के लिए नहीं
सिर्फ अपनी इंद्रियों को प्रसन्न करने के
लिए है। जिस भगवान ने पूरी सृष्टि की रचना
कर डाली हम जैसे हजारों करोड़ों अरबों को
बना दिया और मिटा दिया वो आपसे भला क्यों
कुछ भी मांगेंगे और आप ऐसे कौन से बहुत
महापुरुष हो गए जिससे भगवान को भी कुछ
मांगना पड़ रहा है तो हमें भी आपका एड्रेस
दे दीजिए। हम भी आपके पास आकर हमारी
इच्छाएं पूरी करवा लेंगे। पाखंड और
निर्लज्जता त्यागिए। अगर भगवान को सच में
प्रसन्न करना है तो किसी जीव का भला
कीजिए। उसे खाना दीजिए। उसकी सेवा कीजिए।
और वैसे भी जो किसी मासूम जीव की जान का
बलिदान मांगे वो ईश्वर हो ही नहीं सकता।
हिंदू जीवन शैली में कहीं नहीं लिखा कि
किसी को मारोगे तो भगवान प्रसन्न होंगे।
बल्कि ऐसा करने पर क्या सजा दी जाएगी यह
जरूर लिखा है। नर्क में चलेंगे जिस तरह
मुझे जलाया था। नोच जाएंगे जिन्होंने मांस
मेरा खाया था। कुंभ पाक में शरीर खोल के
पकाएंगे। भोगते थे जो मुझे वो भी भोग
जाएंगे। कहती दुनिया सारी शंभू शिव बड़े
हैं भोले। मय मदिरा बांध पाप सारे शिव के
डोले विनाशकारी शंभू नेत्र नेत्र जब है
खोले पर अग्नि अत्याचारी झुल से बन के
शोले आंख के बंद तो परंतु शंभू अब जला है
सर्वनाश करने वीर पुत्र खुद जला है डमर डम
डमना डमर वयं चकार चंड तांडव तनो शिवा
शिवम शिव शंभू मैं इंतजार कर रहा हूं शिव
शंभू तेरे लिए मैं मर रहा हूं शिव शंभू
साथ ले चलो मुझे अधर्मियों के बीच वेदना
से मैं गुजर रहा हूं शंभू मौसमी प्रलय की
ओर मोड़े शिव शंभू पाखंडियों की खाल ओढ़े
शंभू दशान लंकापति का अहंकार अभिमान एक
चरण की छाप तोड़े मैं एक संगीतकार हूं
जिसे ईश्वर और जानवरों से बहुत प्रेम है।
पूरा गाना सुनने के लिए आपको डिस्क्रिप्शन
में लिंक मिल जाएगी। साथ ही आपको मेरे
चैनल पर और भी ऐसे बहुत सारे गाने मिलेंगे
जहां पर आपको ईश्वर और बेजुबानों के प्रति
प्रेम की अनुभूति होगी। अगर आपको मेरा
संदेश पसंद आया तो इस वीडियो को जरूर लाइक
करें। चैनल को जरूर सब्सक्राइब करें और
बेल आइकन को दबाना बिल्कुल मत भूलना
क्योंकि ऐसा ही कंटेंट और गाने मैं आपके
लिए भविष्य में भी लाता रहूंगा। हर हर
महादेव।
बलि देना ज़रूरी है शिव पुराण का रहस्य है। इस गीत के लिरिक्स, mp3 डाउनलोड और वीडियो डाउनलोड करें। मुफ्त संगीत, ऑडियो और सॉन्ग का आनंद लें।
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