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Kedarnath Nikhar Juneja Shiv Shankar Adiyogi lyrics mp3 download video download song audio free music

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नरक में जाना पड़ेगा क्योंकि केदारनाथ
दर्शन करने गया
था। शिव पुराण में ही लिखा है कि शिव भक्त
होने के बाद भी नरक में यातना भोगनी
पड़ेगी। केदारनाथ में इतनी ऊपर तक जाकर
दर्शन करके आया। फिर भी भगवान मुझसे नाराज
क्यों
है? क्या भक्ति सिर्फ एक मंजिल है या
ईश्वर तक पहुंचने का सफर ही असली भक्ति
है? समझने के लिए वीडियो को आखरी तक
देखिए।
110 किलो के शिव भक्त अंकल अदब से खच्चर
पर बैठे और केदारनाथ के रास्ते निकल पड़े।
अब इतना भारी वजन है उनका तो खुद कैसे ही
चल के जाएंगे इतनी ऊपर तक और शिव जी के
इतने बड़े भक्त भी हैं तो ऊपर जाना जरूरी
भी तो है। अब उस खच्चर की भक्ति को भी मैं
दाद देता हूं जो इतनी पीड़ा झेलने के बाद
भी भक्त अंकल को भगवान से मिलाने के लिए
ऊपर की ओर चल पड़ा। खैर चलते-चलते थोड़ी
देर बाद बेचारा खच्चर थक गया। उसे प्यास
भी लगने लगी। लेकिन अंकल ने उसे रुक कर
पानी तक नहीं पीने दिया क्योंकि इतनी भीड़
है और उन्हें ऊपर पहुंचकर फिर भगवान को जल
भी तो चढ़ाना है लेकिन अंकल को कौन समझाए
कि एक बेचारे प्यासे को उन्होंने पानी
नहीं पीने दिया और ऊपर शिवलिंग पर जाकर जल
भी चढ़ा दिया तो उनसे कौन सा भगवान
प्रसन्न हो जाएंगे शिव जी तो खुद
पशुपतिनाथ है ना उनके गले में वसुकी नाग
और उनका सबसे प्रिय भक्त एक बैल है नंदी
अब दिखावे के शिव भक्त अंकल को शिव पुराण
भी तो पढ़नी चाहिए जिसकी उमा संहिता के
अध्याय चार पांच में लिखा है जो दुर्बल
पशुओं पर अधिक भार लादकर तथा सहन ना होने
पर भी बलपूक असहनीय बोझ खिंचवाते हैं। वे
सब के सब नरकगामी माने गए हैं। यानी कि
भले आप मंदिर गए हो लेकिन किसी बेचारे
बेजुबान को पीड़ा देकर गए हो ना तो भक्ति
नहीं मिलेगी बल्कि नरक में जाओगे और अगर
भगवान में मानते हो तो स्वर्ग नरक में भी
मानो। कर्मों के फल में भी मानो और यह भी
मानो कि अंकल भी शायद नर्क में ही जाने
वाले हैं। और वो खच्चर जो कि भगवान से एक
भक्त को मिलाने के लिए इतने कष्ट झेल रहा
है, वह तो पक्का स्वर्ग में ही जाएगा
प्रभु के चरणों में। अब कुछ लोग सवाल करते
हैं कि अगर हम खच्चर पर बैठकर नहीं जाएंगे
तो खच्चर वालों की रोजी रोटी का क्या
होगा? लेकिन हमें यह समझना होगा कि समय के
साथ जीविका के जरिए भी बदलते हैं। जब
टांगे और बैलगाड़ियों का समय गया तब लोगों
ने ऑटो रिक्शा और ट्रक्स का इस्तेमाल करना
शुरू कर दिया। जब टाइप राइटर और लैंडलाइन
फोंस गायब हो सकते हैं तो खच्चर के दुख को
देखकर इसे बंद करना भी एक संवेदनशील और
समझदार कदम है। केदारनाथ में ऐसे भी तो
लोग हैं जो शॉप्स या गाइडिंग करके इज्जत
और दया के साथ अपनी रोजी कमा रहे हैं तो
हम ऐसे भी तो विकल्प ला सकते हैं जो इंसान
को रोजी भी दे और पशुओं को दर्द भी ना दे।
बेचारा खच्चर भी सोचता होगा कि केदार पर
चढ़ने के लिए इतना कष्ट झेलने के बजाय
सीधे कैलाश पे ही चढ़ जाता। सीधे प्रभु के
घर तक ही चले जाता ना। इन बेचारे पशुओं पर
भक्ति के खातिर हम कितना अत्याचार करते
हैं? इस पर मैंने यह गाना बनाया है। इसे
जरूर सुने। केदार के रस्ते जाते कितने
प्राणी मरे पड़े थे। महाकाल के रस्ते हारे
नंदी जी भूखे खड़े थे। तेरे मंदिर से
बेहतर था कि तेरे घर ही मैं चल आता। केदार
पे मरने से बेहतर कैलाश पे मैं चढ़ जाता।
जिसको तोहफे में जुबान मिली उसका काम
जुबान पर नश्वर माफ की अज्ञानी का वो
चाहता है बेजुबान पर जो सब कुछ त्याग के
बैठा है उसको तू समझ ना पाया शिव भक्ति
में भी ढूंढ रहा है लोभ मोह और माया एक
बार नहीं तू सुनता तो 100 बार कहूंगा शंभू
तेरे द्वार पे आकर हारा मेरे प्राण में
दूंगा शंभू तेरे भक्त की सेवा की मैंने अब
कर तू करना मुझ पर पीड़न करने वालों का
अंत भयानक करना शिव शंकर आदि योगी क्या
मेरी सभा भी होगी तेरे नाम को मैं भी जपता
अगर मुझको समाधि होती शिव शंकर तुम ही
बनाओ शिव शंकर तुम ही मिटाओ पापी का विनाश
करो ना मेरे लिए भी डमरू बजाओ मैं दर्शन
करने के लिए मना नहीं कर रहा जरूर
केदारनाथ जाइए लेकिन अपने पैरों पर मैं
हूं निखार जुनेजा और मुझे संगीत ईश्वर और
जानवरों से बहुत प्रेम है। पूरा गाना
सुनने के लिए आप डिस्क्रिप्शन में लिंक पर
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सारे गाने मिलेंगे जिसमें आपको ईश्वर और
पशुओं से प्रेम की अनुभूति होगी। इस चैनल
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में मैं आपके लिए ऐसे ही गाने और पॉजिटिव
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महादेव।

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