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मकतल में लाश बाप की जब सर कटी मिली
थी उम्र चार साल की बच्ची तड़प गई बेटी जब
अपने बाप को पहचान ना
सकी आवाज़ या बा की सकीना ने रो के दी
लाशा
गरीबा का बोला
नशे
में बहुत अतीम सकीना नशे में
तारीख ने क्या लिखा जनाबे सकीना की गुर्बत
पर वो जंगल वो काली रात वो चार साला बच्ची
सकीना नशे में लिखा है रावियों ने वो मंजर
बड़ा अजीब जंगल वो कालीरा रात वो गुर्बत
वो गम
नसीब आवाज़ सुन के बाप की पहुंची है जब
करीब हालत पे दर की देख के रोई बहुत गरीब
बेटी के साथ बाप भी रोया नशे में रोई बहुत
अजीम सकीना नशे में
सर जो अपने बाप को देखा नशे में
रोए यतीम सकीना नशे में आगे बढ़ी हुसैन की
मजलूम गमजदा
तीरों से जिस्म बाप का देखा भरा हुआ घबरा
के तीर जिस्म से करने लगी जुदा
कम सिल थी कोई तीर ना उससे निकल सका पाया
ना जब हुसैन का सीना नशे में कोई मौत यती
सकीना नशे में मैं सर जो अपने बाप को देता
नशे में
रोई यती सकेगा नशे
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