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Shiv Mahapuran 11 Shivji Lyrics MP3 Download Video

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प्रभुमा
प्रभुमा
प्रभुमा प्रभ
क्या बात है
नंदीश्वर तुम सब इतने भयभीत क्यों
नंदीश्वर तुम्हारा मौन किसी अनिष्ट की
सूचना दे रहा है। निसंकोच कहो क्या
हुआ? हम लज्जित हैं
प्रभु। हम अभी तक जीवित क्यों हैं? आपके
सम्मुख आने से पहले हमने आत्मदाह क्यों ना
कर लिया
प्रभु हमारे प्राण ले लीजिए प्रभु हम आपकी
शरण में रहने योग्य
नहीं तुम
लोग तुम लोग ऐसी निरर्थक बातें क्यों कर
रहे
हो हमें क्षमा करें प्रभु कलंकित जीवन
जीने से मृत्यु अच्छी है हम माता सती को
क्या हुआ सती को स्पष्ट कहो नंदीश्वर क्या
हुआ सती को दक्ष यज्ञ में आपके विरुद्ध
अपमानजनक शब्दों को ना सहन करके माता सती
ने आत्मदाह कर लिया प्रभु क्या
कहा सती ने आत्मदाह कर लिया हां प्रभु
यज्ञ में जाने के पश्चात माता सती ने आपको
निमंत्रण ना देने का कारण जानना चाहा
किंतु शिवद्रोही दक्ष आपके प्रतिनिंदनीय
शब्दों का प्रयोग करने लगा ब्रह्मदेव और
भगवान विष्णु के अतिरिक्त वहां समस्त
देवता उपस्थित थे। किंतु किसी की बात ना
मानकर अहंकारी दक्ष बारंबार आपका अपमान
करता रहा। भले यज्ञ मंडप में आपका अपमान
माता सती के लिए असहाय हो गया प्रभु। और
उन्होंने आत्मदाह करने का निर्णय कर लिया
प्रभु। आत्मदाह करने का निर्णय कर लिया
प्रभु।
असह्य वेद से क्रोधित होकर हम दुष्ट दक्ष
के प्राण ले लेना चाहते थे। किंतु दक्ष
शुभचिंतक शिवद्रोही भृगु ने अपने तपोबल से
त्रिभुवों को प्रकट किया।
तपोबल से उत्पन्न शक्तिशाली रिभु संख्या
में भी हमसे अधिक थे। हमें पराजित होना
पड़ा। हम दंड के भागी हैं महादेव। आप जो
भी दंड देंगे हमें स्वीकार है प्रभु। दंड
अवश्य
मिलेगा। किंतु तुम लोगों को नहीं।
उन शिवद्रोहियों को दंड
मिलेगा जिनके कारण सती को आत्मदाह करना
पड़ा हो।

ओम
ओम
ओम महालंकर भगवान रुद्र देव की जय
हो मेरे लिए क्या आज्ञा है प्रभु कहिए तो
पल भर में समुद्र को जल विहीन कर दूं।
पर्वतों को चकनाचूर कर दूं। क्षण में सारे
ब्रह्मांड को भस्म कर डालूं। आज्ञा दीजिए
प्रभु। कौन सा असंभव कार्य करना
है? वत्स इस सृष्टि में तुम्हारे लिए कोई
भी कार्य असंभव नहीं है। किंतु तुम्हें
सदैव भद्र अभद्र का ध्यान रखना होगा।
भद्रवीर संसार में तुम वीरभद्र के नाम से
जाने जाओगे।
भगवन मेरे जन्म धारण का उद्देश्य क्या
है? शिव द्रोहियों के संहार तथा शिव
भक्तों की रक्षा के लिए ही तुमने जन्म
धारण किया है। वीरभद्र
महादेव भगवान भोलेनाथ का शत्रु बनकर भला
इस संसार में कौन जीवित रह सकता है? आज्ञा
कीजिए। कौन है वो शिवद्रोही जिसके संहार
के लिए मेरा जन्म हुआ
है? ब्रह्मा पुत्र प्रजापति दक्ष के हृदय
में दुष्टता एवं झूठा अभिमान प्रवेश कर
गया है वीरभद्र अहंकारवश वह दुष्ट
शिवद्रोही बन गया है। ब्रह्मपुत्र दक्ष
शिवद्रोही हां
वीरभद्र मुझे अपमानित करने के लिए उसने
महायज्ञ आयोजित किया। यज्ञ में उपस्थित
समस्त देवताओं तथा ऋषि मुनियों के सम्मुख
उसने मेरे प्रति घृणित तथा अपमानजनक
शब्दों का प्रयोग किया। जिससे तुम्हारी
माता शिव संगनी सती सहन ना कर सकी। उन्हें
मेरे सम्मान की रक्षा के लिए अपना बलिदान
देना पड़ा। मैं भगवान रुद्रदेव के चरणों
की सौगंध लेकर कहता हूं कि मैं उस
शिवद्रोही दक्ष के यज्ञ को विध्वंस करके
उसे ऐसा भयंकर दंड दूंगा कि फिर कोई दुष्ट
शिवद्रोह करने का साहस ना करे।
मुझे आज्ञा दे
महादेव जाओ
वीरभद्र शिव इच्छा अनुसार अपना कार्य
पूर्ण
करो। नंदीश्वर आज्ञा प्रभु वीरभद्र के साथ
जाओ। शिवद्रोहियों को उनकी करनी का दंड
दो। जो आज्ञा प्रभु देवाधिदेव महादेव की
जय।
हर हर महादेव। हर हर महादेव।
हर हर महादेव।

Description

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