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प्रिय भक्तों भगवान बुद्ध की पावन कथा आज
मैं आप लोगों को सुनाने जा रहा हूं। बुद्ध
पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म
हुआ और आज के ही दिन अर्थात पूर्णमासी के
दिन ही उनको ज्ञान की भी प्राप्ति हुई और
उनके ज्ञान से आज संपूर्ण संसार आलोकित
है। मैं बुद्ध पूर्णिमा की सबको महिमा
बतलाता हूं। पावन कथा सुनाता हूं। पैसा
माह के इस दिन से जुड़ी कथा सुनाता हूं।
मैं महिमा गाता
हूं। कैसे गौतम बुद्ध को मिलाता ज्ञान
बताता हूं। पावन कथा सुनाता हूं। वैशाख
माह के इस दिन से जुड़ी कथा सुनाता हूं।
मैं महिमा गाता
हूं। बड़ी महान
सुनो मेरे
नाम की है पहचान मेरे
वो प्रिय भक्तों प्राचीन काल की बात है।
कपिल वस्तु के लुंबिनी में भगवान बुद्ध का
जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम शुद्धोधन
था और मां का नाम महामाया था। पिता ने
अपने पुत्र का नाम सिद्धार्थ रखा।
सिद्धार्थ के जन्म के सात दिन के बाद ही
उनकी माता की मृत्यु हो गई और बुद्ध का
पालन पोषण उनकी मौसी महाप्रजापति गौतमी ने
किया था।
बात बड़ी प्राचीन है भक्तों सुनो लगाकर
ध्यान कपिल वस्तु के लुंबिनी में जन्मे थे
श्रवण
भगवान जन्मे थे श्याम
भगवान शुद्धोधन राजा ने रखा था सिद्धार्थ
गौतम नाम बचपन में ही मां को खोकर भली
बड़ी संतान
भली बड़ी संतान
कहते हैं जब जन्म हुआ तब हुई
भविष्यवाणी राजपाट छोड़ एक दिन बालक बनेगा
संत
ज्ञानी बनेगा संत
ज्ञानी सुनकर ऐसी बातें बिदा शुद्ध
घबराए सोचा इस पथ जाने से उसे कैसे
रुकवाए उसे कैसे रुकवाए
कैसे बना वो भिक्षुक आगे वर्णन गाता हूं।
मैं कथा सुनाता हूं। वैशाख माह के इस दिन
से जुड़ी कथा सुनाता हूं। मैं महिमा गाता
हूं। ये है बड़ी
महान। सुनो
मेरी इसकी है पहचान।
प्रिय भक्तों राजा ने अपने पुत्र को सारा
सुख दिया और यह प्रयास रखा कि सिद्धार्थ
को कभी किसी चीज की कमी ना हो और एक
खूबसूरत राजकुमारी से उनका विवाह भी करवा
करवा दिया। उनकी पत्नी का नाम यशोधरा था।
कुछ समय बीते उन्हें एक पुत्र की भी
प्राप्ति हुई जिसका नाम उन्होंने राहुल
रखा। राजा ने खुशियां सुख वैभव पुत्र को
दिए
तमाम। काट बाट और राजकुंवर की भर दी उसमें
शान।
भर दी उसमें शान।
युवा हुए जब गौतम को ब्याह का करा
दिया राजकुमारी
यशोधरा को दुल्हन बना दिया
गौतम को जब पुत्र हुआ रखा राहुल नाम हंसी
खुशी से लगे बीत ने उनके सुबह शाम
उनके सुबह शाम
लेकिन फिर भी रुका नहीं जो लिखा विधि का
विधान एक दिन घट गई घटना ऐसी हुए सभी
परेशान
सभी उसके संग क्या होता है आगे बतलाता हूं
पावन कथा
सुनाता हूं पैसा कमा के इस दिन से जुड़ी
कथा सुनाता हूं मैं महिमा गाता हूं
यशु है पहचान
प्रिय भक्तों विधि को जो मंजूर था वही
होता है। एक दिन बूढ़ा आदमी सिद्धार्थ को
दिखता है और उसे देखकर वो सोच में पड़
जाते हैं। फिर क्या होता है? आइए कथा के
माध्यम से जानते
हैं। एक दिन रस्ते में एक बूढ़ा उसे नजर
आता है। देख बुजुर्ग इंसान को फिर वो सोच
में पड़ जाता है। वो सोच में मर जाता है।
फिर एक दिन जिसे देखता वो था पड़ा हुआ
बीमार
थका हुआ था उसका तन वो चलने में लाचार वो
चलने में
लाचार फिर देखा जब उसने किसी को अर्थी पर
सवार मृत्यु का सच जान उचट गया उसका मन
संसार
देखा जब वैरागी साधु तब ये तो जान
लिया सुख वैभव ये मोह माया है उसने मान
लिया उसने मान लिया
किसके आगे क्या होता है वो बतलाता हूं
पावन कथा सुनाता हूं वैशाख माह के इस दिन
से जुड़ी कथा सुनाता हूं मैं महिमा गाता
हूं
महिमा की है मेरी
जान प्रिय भक्तों सिद्धार्थ गौतम ने अपना
घर परिवार त्याग दिया। कहां तो वह
राजकुमार सा विलासिता पूर्ण जीवन और कहां
भिक्षुक का जीवन और वो सत्य की खोज में लग
गए। आगे क्या होता है? आइए कथा के माध्यम
से जानते
हैं। महलों के सारे सुख वैभव त्याग दिया
उसने।
राज कुंवर से खुद को भिक्षुक बना लिया
उसने बना लिया
उसने जन्म और मृत्यु और सुख दुख क्या है
कोई
बतलाए इसी प्रश्न के उत्तर ढूंढता गौतम
भटका जाए गौतम भटका जाए मोह वृक्ष के नीचे
उनको प्राप्त हुआ नव ज्ञान भक्तों वो तो
पूर्णिमासी का दिन था बड़ा
महान का बड़ा
महान तब से वो दिन बुद्ध पूर्णिमा नाम से
जाना
जाता उनका गौतम बुद्ध पड़ जाता
बौद्ध धर्म के संस्थापक में ये बतलाता हूं
मैं कथा कथा सुनाता
हूं सुख माह के इस दिन से जुड़ी कथा
सुनाता हूं मैं महिमा गाता
हूं
महिमा यीशु की है महिशान
प्रिय भक्तों भगवान बुद्ध के धर्म के मूलत
आठ धर्म और नियम है। आइए हम उनका विस्तृत
वर्णन करेंगे।
बौद्ध धर्म के आठ नियम है सुनो लगाकर
ध्यान सम्यक दृष्टि सम्यक संकल्प सम्यक
कर्म
व्यायाम सम्यक धर्म
व्यायाम सम्यक आजीविका वचन और सम्यक
स्मृति आठ नियम में अंतिम है ये सम्यक
समाधि
ये सम्यक समाधि
उपदेशों में सदा कहां छोड़ो हिंसा की राह
प्रेम दया हो मन में अपने सदा रहे ये
चाह सदा रहे
ये जीवन उनका होता सफल जो इनके मार्ग
चलते दया करुणा से भर के जो मन को अपने
रखते मन को अपने रखते
प्रभु के आगे शत शत अपना शीश झुकाता हूं।
मैं शीश झुकाता हूं। वैसा माह के इस दिन
से जुड़ी कथा सुनाता हूं। मैं महिमा गाता
हूं। बड़ी महान सब सुनो।
इस की है
पहचान यहोवा का वरदान
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