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विष्णु भगवान की जय।
स्वामी इंद्रदेव ब्रह्मदेव गुरुदेव तथा
देवर्षि नारद इसी ओर पधार रहे हैं। हां
देवी दक्ष यज्ञ विध्वंस और शिव लीला से
उत्पन्न संकट के निवारण के लिए यह सब यहीं
आ रहे
हैं। हमें इसका कोई ना कोई उपाय अवश्य
ढूंढ निकालना होगा।
भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी के चरणों
में प्रणाम।
पधारिए देवग ब्रह्मदेव देव ऋषि आप सबका
स्वागत है। प्रभु हम सब सृष्टि के सबसे
बड़े संकट के समाधान की आशा में आपकी शरण
में आए हैं। देवराज इस समय हम इसी संकट के
विषय में चर्चा कर रहे थे।
ब्रह्मदेव आपने तो इसका कोई ना कोई समाधान
अवश्य ढूंढ निकाला होगा। बताइए हमें क्या
करना चाहिए? श्री हरि आप तो जानते हैं शिव
के सती मोह को भंग किए बिना इस संकट का
निवारण नहीं होगा। शिव लीला कभी बिना
उद्देश्य नहीं होती है।
ब्रह्मदेव भगवान शिव शंकर की इस लीला के
पीछे भी जगत कल्याण का कोई महान उद्देश्य
अवश्य छिपा हुआ है। हर शिव लीला का अंतिम
परिणाम जगत के लिए कल्याणकारी होता
है। नारायण नारायण परंतु प्रभु इससे जगत
का कल्याण होगा कैसे? शिव का यह रूप और
दक्ष का अधूरा यज्ञ देखकर हम कल्याण की
कल्पना ही नहीं कर
सकते। श्री हरि अब आपको क्या करना है यह
आप हमें
समझाइए।
ब्रह्मदेव जब तक शिव के शरीर से सती का शव
दूर नहीं
होगा तब तक महादेव की उन्माद लीला समाप्त
नहीं होगी। परंतु प्रभु शिव के शरीर से
सती के शव को दूर करने का दुस्साहस करेगा
कौन? यदि यदि किसी ने ऐसा किया भी तो वो
शिव के कोप से नहीं बच
पाएगा। शिव कोप का परिणाम और भी भयंकर
होगा। यह सब दक्ष प्रजापति की उन भूलों का
परिणाम है जो सबको भुगतना पड़ रहा है। ना
वे शिव की निंदा करते ना ही सती को
आत्मबलिदान करना पड़ता।
देवी यह ना भूलें जो कुछ हुआ वह भी शिव की
लीला थी और जो कुछ हो रहा है वो भी शिव की
लीला है।
परंतु इस शिव लीला से उत्पन्न संकट से
उभरने का उपाय क्या है? एक ही उपाय है।
सती के शव को शिव से अलग करना।
उसके लिए सती के शव को विच्छेद करना होगा।
सती का शव
विच्छेद शव विच्छेद अर्थात सती के शव को
खंड खंड किया जाएगा।
हां शिव के सती मोह को भंग करने का
यही एकमात्र उपाय
है। परंतु यह होगा
कैसे? ब्रह्मदेव
यदि आप अनुमति दें तो मैं यह कार्य अपने
सुदर्शन चक्र द्वारा संपन्न करूं। अवश्य
श्री हरि सृष्टि कल्याण के लिए यदि यही
एकमात्र उपाय है। तो मुझे इसमें कोई
आपत्ति नहीं। आप यह शुभ कार्य अवश्य
संपन्न
कीजिए। जय शिव
शंकर। जय मां शक्ति।
हम
परमपिता ब्रह्मदेव की आज्ञा पाकर भगवान
विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र को प्रेरित
किया सती के प्राणहीन पावन शरीर को खंड
खंड करने के
लिए सृष्टि को शिवो उनोनमाद के प्रलय से
बचाने का यही एकमात्र उपाय
था सुदर्शन चक्र ने माता सती के देह के 51
खंड किए ये पावन तेजोमय खंड जहांजहां गिरे
वहांवहां
51 शक्ति पीठों की स्थापना हुई। इन शक्ति
पीठों में शक्ति ज्योति रूप में सदा सदा
के लिए विराजित हो गई।
विष्णु जी द्वारा सुदर्शन चक्र से माता सती की प्राणहीन देह के 52 खण्ड करना, 52 शक्तिपीठों की स्थापना का गीत। यहाँ आप इस गाने के lyrics, mp3 download, और वीडियो डाउनलोड कर सकते हैं। इस गीत का ऑडियो भी उपलब्ध है। मुफ्त संगीत और सिंगर के ऑफिशियल वर्जन का आनंद लें।
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